गृह मंत्रालय से शुरू हुई संगठनों की बातचीत-ड्राइवरों की हड़ताल


Truckers strike: ट्रक पर आपातकालीन बैठक आज,
उत्तर प्रदेश लखनऊ गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पंकज शुक्ल कहते हैं कि हड़ताल के ज्यादा चलने से आपूर्ति बाधित होगी और उससे जमाखोरी भी बढ़ सकती है। ऐसी दशा में मांग और आपूर्ति के बीच में बढ़ने वाले गैप के चलते सीधा असर जनता पर पड़ सकता है...

न्यूज़ डेस्क | 02 Jan 2024

पूरे देश में रोजाना औसतन एक लाख से ज्यादा ट्रक देश के अलग-अलग हिस्सों में दवाओं को पहुंचाते हैं। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक तकरीबन इससे ज्यादा ही ट्रक फल और सब्जियों को पहुंचाते हैं। तकरीबन साढ़े चार लाख से ज्यादा ट्रक रोजाना एक जोन में रोजमर्रा से जुड़ी जरूरत के अन्य छोटे-छोटे सामान पहुंचाते हैं। लेकिन पिछले 48 घंटों में दवाइयों से लेकर फल और सब्जियां समेत डीजल, पेट्रोल और सीएनजी जैसी जरूरतें सप्लाई करने के लिए ट्रक नहीं चल रहे हैं। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस संगठन के मुताबिक चालकों की हड़ताल का बड़ा असर पड़ना शुरू हो गया है। इस हड़ताल की गंभीरता को देखते हुए संगठन की मंगलवार दोपहर बाद एक आपातकालीन बैठक भी बुलाई गई है। गृह मंत्रालय के साथ भी संगठन की बातचीत चल रही है। वहीं, सरकार ने भी ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल का लोगों पर असर न पड़े, इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस एसोसिएशन के मुताबिक देश के सभी राज्यों में दवा से लेकर फल, सब्जियां और जरूरत के सभी सामानों से लदे ट्रक फंसे हुए हैं। संगठन के महासचिव नवीन गुप्ता कहते हैं कि देश के सभी ट्रक-बस ड्राइवरों ने काम बंद कर दिया है। इसके चलते देश की सड़कों पर रोजाना दौड़ने वाले लाखों ट्रकों के चक्के थम गए हैं। उनका कहना है कि पिछले 48 घंटों में अलग-अलग जगहों पर पहुंचने वाली रोजमर्रा की चीजों की सप्लाई नहीं हो पाई है। शुरुआती दौर में अभी जो स्टॉक लोगों के पास है, उसी से काम चल रहा है। नवीन गुप्ता कहते हैं कि अगर यह हड़ताल लंबी चली, तो रोजमर्रा में इस्तेमाल की जाने वाली जरूरत की चीजों की आपूर्ति पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है।

उत्तर प्रदेश गुड्स ट्रांसपोर्ट संगठन के महामंत्री मनोज शुक्ला कहते हैं कि भीतर 48 घंटे में प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर से उठने वाला सामान अभी तक डिपो में ही बंद है। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों और राजधानी समेत आसपास के राज्यों में आपूर्ति होने वाली 90 फ़ीसदी दवाएं इन्हीं डिपो से रोजाना सप्लाई होती हैं, जो कि पूरी तरीके से ठप हो गई हैं। ऑल इंडिया केमिस्ट एसोसिएशन से जुड़े विकास रस्तोगी कहते हैं कि रोजाना आने वाला दवाओं का माल अगर बंद हो गया, तो बाजार में दवाओं की भारी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। वह कहते हैं कि खुदरा बाजार में दवाओं की आपूर्ति रोजाना के स्तर पर ही होती है। अगर ट्रक ड्राइवर की हड़ताल लगातार बनी रही, तो इसका सीधा असर मरीज, अस्पताल और दवाओं पर जबरदस्त रूप से दिखेगा।

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस एसोसिएशन के मुताबिक रोजाना तकरीबन पांच लाख से ज्यादा टैंकर डीजल, पेट्रोल और सीएनजी को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचते हैं। संगठन के महासचिव नवीन गुप्ता कहते हैं कि जिनके पास पहले से स्टॉक है, उन पर तो तुरंत असर नहीं होगा। लेकिन जैसे-जैसे आपूर्ति बाधित होती रहेगी, इस तरीके से पेट्रोल और डीजल की किल्लत बढ़नी शुरू सकती है। ऑल इंडिया डीजल-पेट्रोल पंप डीलर संगठन के वरिष्ठ सदस्य दीपेश अग्रवाल कहते हैं कि 48 घंटे तक ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल बहुत बड़ी होती है। देश के अलग-अलग पेट्रोल-डीजल पंपों पर रोजाना टैंकर्स आपूर्ति के लिए पहुंचते हैं। दीपेश कहते हैं कि अगर यह हड़ताल आगे बढ़ती है, तो इसका सीधा असर पेट्रोल और डीजल की सप्लाई पर पड़ना शुरू हो जाएगा।


उत्तर प्रदेश लखनऊ गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पंकज शुक्ल कहते हैं कि हड़ताल के ज्यादा चलने से आपूर्ति बाधित होगी और उससे जमाखोरी भी बढ़ सकती है। ऐसी दशा में मांग और आपूर्ति के बीच में बढ़ने वाले गैप के चलते सीधा असर जनता पर पड़ सकता है। पंकज कहते हैं कि उनके संगठन से जुड़े लोग लगातार सरकार के संपर्क में हैं, ताकि लोगों को इस हड़ताल के असर से बचाया जा सके। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस संगठन के महासचिव नवीन गुप्ता कहते हैं कि ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल के चलते उनका संगठन आज दोपहर को एक आपातकालीन बैठक कर रहा है। दोपहर को होने वाली इस बैठक में आगे की रणनीतियों और समाधान पर चर्चा करेगा। नवीन गुप्ता कहते हैं कि इस बैठक के बाद ही तय होगा कि आगे की हड़ताल किस दिशा में जाएगी। हालांकि संगठन और केंद्रीय गृह मंत्रालय के बीच भी लगातार नए कानून के बदलाव को लेकर बातचीत चल रही है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस संगठन के मुताबिक ट्रक ड्राइवर की अलग-अलग एसोसिएशंस यही चाहती हैं कि हिट एंड रन एक्ट में किए गए बदलाव को समाप्त किया जाए।

ऑल इंडिया ट्रक और बस ड्राइवर संगठन समेत अलग-अलग ड्राइवर संगठन के लोगों ने 1 जनवरी से 3 जनवरी तक का 'स्टीयरिंग छोड़ो' के नाम से चक्का जाम शुरू कर दिया है। संगठन के सोनू यादव कहते हैं कि आपराधिक कानूनों में किए गए बदलाव के कारण हिट एंड रन केस में भी सजा बढ़ा दी गई है, जिसके चलते देशभर में ट्रक और बस चालकों ने विरोध-प्रदर्शन किया है। सजा की अवधि बढ़ाए जाने के खिलाफ बस और ट्रक ड्राइवरों के साथ-साथ ऑटो चालकों ने भी मोर्चा खोल दिया है। वह कहते हैं कि हिट एंड रन केस में नए कानून के तहत फरार और घातक दुर्घटना की सूचना नहीं देने पर ड्राइवरों को अब दो साल की नहीं, बल्कि 10 साल तक की जेल हो सकती है। उनका कहना है कि सड़कों पर रोजाना लाखों की संख्या में ट्रक ड्राइवर चलते हैं और कई दुर्घटनाएं भी होती हैं। ऐसी दुर्घटनाओं में अकसर ड्राइवर अपनी जान बचाकर भाग निकलता है, भले ही गलती ट्रक ड्राइवर की हो या ना हो। उनका कहना है अगर ड्राइवर वहां पर रुक जाए तो मौजूद भीड़ उसकी हत्या तक कर सकती है। अब नए कानून में अगर वह ड्राइवर भाग जाता है, तो उसे दो साल की जगह पर 10 साल की सजा और सात लाख रुपये का जुर्माना देना होगा।


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